निज दुख गिरि सम रज करि जाना।मित्रक दुख रज मेरु समाना
विनय कुमार बघेल
पिनाहट। कस्बा के चौगान माता मंदिर के पर विगत दिनों से हो रही श्री रामलीला मे मंगलवार के मंचन मे सीता हरण के बाद भगवान राम भाई लक्ष्मण के साथ सीताजी की खोज में भटकते हुए सबरी आश्रम पहुचे जहा वर्षो से भगवान श्री राम की राह देख रही माता सबरी से भगवान श्री राम की भेट हुई । श्री राम ने प्रसन्न होकर सबरी को नवदा भक्ति प्रदान कर उद्धार किया। वही शबरी के बताने पर भगवान ऋषय मुख पर्वत के पास पहुंचे जहा पवन पुत्र हनुमान से भगवान की भेट हुई तभी हनुमान जी बाली से पराजित हुए सुग्रीव के बारे में पूरी कथा बताते हैं और भगवान श्री राम लक्ष्मण को बानर राज सुग्रीव के पास ले जाते हैं अग्नि को साक्षी मानकर शपथ लेते है दोनों मित्रों ने अपनी अपनी व्यथा एक दूसरे को बताई। तभी भगवान बाली को मानने की शपथ लेते हैं।निज दुख गिरि सम रज करि जाना।मित्रक दुख रज मेरु समाना।। और आदर्श मित्र के गुण बताये कहा सच्चा मित्र वही होता है जो मित्र के धूल के समान दुख को बहुत बड़ा समझ कर उसे दूर करने का उपाय करें और अपने बहुत बड़े पहाड़ जैसे दुख को भी मित्र के दुख के आगे धूल सामान समझे वही आदर्श मित्र है। इसी प्रतिज्ञा के साथ भगवान श्री राम के आश्वासन पर सुग्रीव बाली को युद्ध को ललकारता है और सुग्रीव बाली का युद्ध प्रारंभ होता है तभी भगवान श्री राम बाली में तीर मार कर उसका बध कर देते हैं। बाली ने राम से वध करने का कारण पूछा तो भगवान ने कहा हे मूर्ख सुन छोटे भाई की स्त्री पुत्र की स्त्री यह चारों एक समान है इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं होता। वहीं सैकड़ो की संख्या में मंचन देख रहे ग्रामीणो ने जय श्री राम के नारे लगाए जिससे पूरा क्षेत्र गूंजाय मान हो गया।इसी दौरान कमेटी के अध्यक्ष रामनरेश परिहार, भगवान सिंह परिहार , सुरेंद्र पांडे, सुधीर परिहार, रामदत्त शर्मा, विनोद अरेला , हर्ष कुमार , चंद्रमोहन तिवारी , श्यामसुंदर महेरे , महावीर ओझा, हर्ष कुमार, रामनिवास शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।
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